शेयर बाजार के पोर्टफोलियो की तरह हमारा भी जीवन बीमा का भी पोर्टफोलियो होना चाहिए।

   हम कुछ गैर मान्यताओं के बार में बात करते हैं:
1) बीमा की पॉलिसी लेने से हमारा खर्च बढ़ता है और घर खर्च में कटौती करनी पड़ती है:
कभी कभार घर खर्च में कमी कर और जीवन स्तर मैं कमी कर भी बीमा लेना जरूरी है। यहां एक उदाहरण
देखते हैं।ऊंचा वेतन पाने वाले एक व्यक्ति को अचानक ऑफिस के कार्यक्रम में बेचैनी लगने लगी। थोड़ी
ही देर में उल्टी हुई और सहयोगियों ने व्यक्ति को निकट के हॉस्पिटल में दाखिल किया। उसके पद के अनुरूप
उपचार मिला, लेकिन कैंसर का निदान हुआ।कुछ ही दिनों में उसके अंग एक के बाद एक फेल होने लगे और मृत्यु हो गई।ऊंचा वेतन होने के बावजूद उसने अपने जीवन स्तर के अनुरूप बीमा नहीं लिया था। काम करने में हमेशा आगे रहने वाले इस व्यक्ति ने अपने लिए पर्याप्त रकम का जीवन बीमा लेने में ढील की।मुझे मृत्यु का डर ना बताओ, मैं मेरे परिवार के लिए मेहनत कर रहा हूं, ऐसा कहने वाले व्यक्ति ने वस्तुतः परिवार के लिए जरूरी जीवन बीमा नहीं लिया और
इसका बुरा परिणाम आया
 वास्तविकता: जीवन बीमा का अकाल मृत्यु की स्थिति में भी उपयोग होता है और लंबी उम्र की स्थिति में भी
काम आने वाला प्रोडक्ट है।
2) जीवन बीमा सिर्फ पुरुषों के लिए होता है:
यह मुद्दा पहले के लेखों में भी आ गया है, लेकिन फिर कहना है कि महिलाओं का भी जीवन बीमा
होना चाहिए।यदि महिलाएं हर क्षेत्र में कार्यरत हो तो उनके लिए जीवन बीमा क्यों नहीं।
वास्तविकता: नौकरी व्यवसाय द्वारा नौकरी व्यवसाय द्वारा कमाने वाली महिला का बीमा पुरुषों जितना
ही होना चाहिए. बीमा मानव जीवन मूल्य के आधार पर लिया जाता है, सिर्फ पुरुष जीवन मूल्य के आधार
पर नहीं।H
3) कम प्रीमियम वाली पॉलिसी पर्याप्त है: निवेश पर
रिटर्नमिले उसी तरह निवेश वापस मिलना भी महत्वपूर्ण है। सस्ते प्रीमियम के बदले पर्याप्त रिस्क कवर को ध्यान में रखकर बीमालेना होता है।
वास्तविकता: आपने जिस बीमा कंपनी के पास से पॉलिसी खरीदी उस कंपनी का क्लेम सेटेलमेंट रेशियो
कितना है, उसे जान लेना चाहिए।
जरूरत पड़ने पर बीमा कंपनी का क्लेम सेटलमेंट करने की उदारता और स्थिति में होना महत्वपूर्ण है।
4) दो-तीन वर्ष के लिए पॉलिसी लगूं और बाद में प्रीमियम भरना बंद कर दूंगा:
आजकल लोग बीमा पॉलिसी के नाम पर ठगी का गोरखधंधा भी चलता है। आप दो-तीन वर्ष के लिए प्लान लो और पसंद ना आने पर पॉलिसी बंद करा दो ऐसे लोगों को कहा जाता है, लेकिन ऐसी पॉलिसी लेने में आखिरकार नुकसान आपका ही है ।
वास्तविकता: आपको शॉर्टकट ऑफर करने वाले व्यक्ति पर कभी विश्वास न करें। पॉलिसी के सभी विवरणों की जांच कर ले और कंपनी की वेबसाइट की जांच करने के बाद ही बनवा लें ।
5) मेरे पास तो बचपन से पॉलिसी है: मैं छोटा था तब मेरे पास पॉलिसी है, ऐसा कह कर लोग
नई पॉलिसी लेना टालते होते हैं, लेकिन उनको पता
नहीं होता कि बचपन में ली गई पॉलिसी किस प्रकार की और उसका रिस्क कवर कितने वर्षतक मिलने वाला है।
कई बार ऐसा होता है ऐसे व्यक्ति के 40 वर्ष का होने तक कि सभी पालिसी परिपक्व हो जाती है और फिर जरूरत पड़ने पर एक भी पॉलिसी नहीं होती।
वास्तविकता: शेयर बाजार के पोर्टफोलियो की तरह जीवन बीमा का भी पोर्टफोलियो होना चाहिए. इसमें
अलग-अलग प्रकार की और अलग- अलग उम्र समूह में रिस्क कवर करने वाली पॉलिसी होनी चाहिए. जीवन
बीमा के लिए एक कंपनी ने जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी, ऐसा नारा दिया था।

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