वर्तमान समय में चिकित्सा उपचार काफी महंगा पड़ता है। इससे हर परिवार का आरोग्य बीमा होना
अनिवार्य है।अनेक बार लोग आरोग्य बीमा का क्लेम मंजूर ना होने की बात कह कर पॉलिसी लेना टालते होते हैं. हालांकि क्लेम के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर लेने के बात आरोग्य बीमा पॉलिसी ले ही लेनी चाहिए। आरोग्य बीमा में आने वाले कैशलैस क्लेम और रीइंबर्समेंट क्लेम
के बारे में हम इस कॉलम में बात कर चुके हैं।आज हम आरोग्य बीमा का क्लेम नामंजूर होने के पीछे के मुख्य
कारणों की बात करेंगे।हकीकत घोषित करने में गफलत
अथवा जानकारी छिपाना जीवन बीमा हो या आरोग्य बीमा हो हर व्यक्ति को पॉलिसी लेते समय
फार्म में हर जानकारी प्रमाणिकता के
अनसार भरनी चाहिए।बचपन में कोई घाव या जख्म हुआ हो, जन्मजात कोई खामी हो या बीमारी हो या
उत्तराधिकार तकलीफ हो, इसकी जानकारी आरोग्य बीमा कंपनी को देनी चाहिए। यदि पहले से जानकारी
ना हो और क्लेम के समय पता चले
तो क्लेम नामंजूर हो सकता है। लोग भविष्य में होने वाली बीमारी के उपचार के लिए आरोग्य बीमा लेते
हैं, लेकिन यह ध्यान में रखना चाहिए कि बहुत सी कंपनियां पहले से जो बीमारी हो उसके उपचार का खर्च नहीं देती है। इससे कोई भी पुरानी बीमारी
या तकलीफ की जानकारी छुपानी नहीं चाहिए।
दस्तावेजों में कमी:
उपचार के समय डॉक्टर द्वारा लिख कर दी गई पर्ची को सुरक्षित रखना जरूरी है। हॉस्पिटल में एडमिट
होने से पहले की सभी पर्ची और उसके साथ दवा के बिल तथा परीक्षण की रिपोर्ट और हॉस्पिटल में संबंधित
मरीज के उपचार से संबंधित बिल, रिपोर्ट आदि दस्तावेज क्लेम के समय बीमा कंपनी को सुपुर्द करना होता है।
यदि उसमें कोई कमी रह जाए तो क्लेम नामंजूर हो सकता है।
नहीं शामिल की गई बीमारियांbआरोग्य बीमा कंपनी पुरानी बीमारियों के अलावा बहुत सी अन्य बीमारियों को मरीज की उपचार पॉलिसी के तहत शामिल नहीं करती।
इसकी जानकारी पॉलिसी के नियमों और शर्तों के तहत स्पष्ट रूप से दी जाती है।
इन तकलीफों में दांत की तकलीफ, नशे की स्थिति में घायल होना या साहसिक खेल कूद के समय लगी चोट आदि का समावेश होता है।
यहां शामिल की गई बीमारियों के बारे में राई से अध्ययन कर लेने के बाद की पॉलिसी के बार मे निर्णय लेना चाहिए।
क्लेम के समय जानकारी ना होना:
कभी कोई दुर्घटना या दूसरी घटना इतनी बड़ी होती है कि परिवार जनों का पूरा ध्यान उपचार कराने पर होता है। उस समय बीमा कंपनी को
सूचित करना याद नहीं रहता. हकीकत में यह स्थिति आरोग्य बीमा ना लेने जितनी ही गंभीर है। यदि करीबी
परिवार वाले को जानकारी दी जा सके तो किसी संबंधी को कह कर बीमा कंपनी को हॉस्पिटलाइजेशन की
जानकारी देनी चाहिए। कुछ कंपनियां हॉस्पिटलाइजेशन के 24 घंटे के अंदर और कुछ 48 घंटे के अंदर जानकारी देने का नियम रखती हैं. इस परिस्थिति
में ऐसी कंपनी पसंद करें, जिसे दिनnरात कभी भी जानकारी करनी हो तो सरलता से की जा सके. गौरतलब है कि आप की ओर से बीमा कंपनी को
हॉस्पिटलाइजेशन की जानकारी दी जा सके, ऐसा अधिकार नॉमिनी को देकर रखें। पॉलिसी धारक स्वयं जानकारी ना दे सके, ऐसी स्थिति में ऐसी व्यवस्था
उपयोगी होती है।
पॉलिसी लैप्स होने की समय अवधि या ग्स पीरीयड के दौरान आए क्लेम कभी लोग पॉलिसी रिन्यू कराने
में विलंब करते हैं। बीमा कंपनियां ग्स रे पीरियड देती हैं, लेकिन यदि इस समय अवधि के दौरान क्लेम आए तो वह नामंजूर हो सकता है।इसका कारण
यह है कि कानूनी रूप से पॉलिसी अंतिम दिन लैप्स हो जाती है। पॉलिसी लैप्स होने के दूसरेदिन भी क्लेम आए
तो वह नामंजूर हो जाता है। इससे कहा जा सकता है कि पॉलिसी के अंतिम दिन से पहले ही नवीनीकरण करा लेना चाहिए।
वेटिंग पीरियड:
आरोग्य बीमा कंपनियां कुछ बीमारियों पॉलिसी के तहत कुछ वेटिंग पीरियड के बाद ही शामिल करती है.
इस प्रकार पॉलिसी के तहत शामिल की गई बीमारियां यदि वेटिंग पीरियड के दौरान हो तो उसका क्लेम नहीं
मिलता. मोतिया, किडनी, स्टोन, घुटना प्रत्यारोपण की शस्त्रक्रिया जैसी तकलीफ 2 से 4 वर्ष की वेटिंग पीरियड के बाद शामिल की जाती है। हर पार्टी में यह समयावधि अलग-अलग होती है जिससे आपकी
पॉलिसी का क्या नियम है, उसकी जांच कर ले।
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